अंग्रेज खगोलशास्त्री राबर्ट हुक ने वर्ष 1664 में पहली बार इसका पता लगाया था।
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अंग्रेज खगोलशास्त्री राबर्ट हुक ने वर्ष 1664 में पहली बार इसका पता लगाया था।
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इसी तर्क को मानते हुए, एक अंग्रेज खगोलशास्त्री आर्थर स्टेनली एडिंगटन (१८८२-१९४४) ने १९२६ में यह कल्पना की कि केवल कुछ नाभिकीय क्रियाएं ही सूरज कोज्वलंत रख सकती हैं जैसा कि वह आज है.
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यिर्मयाह होरोक्स (1618-3 जनवरी 1641) (Jeremiah Horrocks, कभी-कभी Jeremiah Horrox (एक लैटिन संस्करण जिसका उन्होने एमानुएल कॉलेज रजिस्टर पर और अपनी लैटिन पांडुलिपियों में प्रयोग किया) [1] रुप मे वर्णित), एक अंग्रेज खगोलशास्त्री थे ।